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हिंदी उपयोजित लेखन

मेरा अगला प्रकाशन श्रीमती मीना शर्मा जी के साथ ओस की बूँदेंं (Oas ki Boonden)

रविवार, 2 अगस्त 2020

कहानी लेखन 5


निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर कहानी लिखकर एक उचित शीर्षक दीजिए।

एक किसान, उसके दो बेटे - खेत में फसल का पकना - खड़ी फसल के बीच टिटहरी का घोंसला - उसके बच्चे छोटे - एक दिन किसान का आना - पड़ोसी से फसल काट देने को कहना - बच्चे चिंतातुर - टिटहरी के आने पर बताना - टिटहरी का कहना - डरो मत, फसल नहीं कटेगी - अगले दिन किसान का नौकरों को लेकर आना - फसल काटने को कहना - टिटहरी के बच्चे चिंतातुर - टिटहरी का वही उत्तर - उसके बाद किसान का अपने लड़कों को लाना - फसल काटने को कहना - टिटहरी के बच्चों का डर - टिटहरी का उत्तर, कुछ नहीं होगा डरो मत  - अगले दिन किसान का आना और कहना - "किसी के भरोसे रहने से काम नहीं होगा, कल से मैं ही कटाई करूँगा" - बच्चों का टिटहरी को बताना - टिटहरी का उत्तर  - "बच्चों! अब इस खेत को छोड़ देने में ही भलाई है"- कहानी की सीख। ---
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स्वयंकृति

एक किसान था। उसके दो बेटे थे। उसके पास खेत भी थे। वह उसमें फसल उगाता था। अभी खेत में फसल लगी हुई थी। फसल पकने को थी। उसी खेत में फसल के बीच एक टिटहरी का घोंसला था। वह उसमें अपने बच्चों के साथ रहती थी।

एक दिन किसान अपने पड़ोसी के साथ खेत पर फसल देखने गया। वहाँ उसने देखा कि फसल पूरी तरह पक चुकी है। उसने पड़ोसी से कहा कि कल से वह फसल की कटाई शुरु कर दे और दालान तक पहुँचा दे। यह वार्तालाप टिटहरी के बच्चों ने सुना, वे परेशान हो गए। सोच में लग गए कि अब हमारा क्या होगा ? टिटहरी के आने पर बच्चों ने उसे सूचित किया। टिटहरी सुनकर संयत रही और उसने बच्चों को समझाया – “डरने की कोई जरूरत नहीं है , फसल कटने वाली नहीं है।“

दो दिन बाद जब किसान नौकरों को लेकर खेत पर आया तो देखा कि फसल की कटाई शुरु नहीं हुई। उसने नौकरों से कहा कि कल से वे फसल की कटाई शुरु करें और उसे दालान तक पहुँचा दें। टिटहरी के बच्चों ने फिर बातें सुनी और लौटने पर टिटहरी को बताया। टिटहरी फिर भी शांत थी। उसने बच्चों को सान्त्वना दिया कि घबराएँ नहीं, ऐसे किसी पर निर्भर होने से काम नहीं होने वाला है।

फिर दो दिन बाद किसान अपने बेटों को लेकर खेत पर गया तो उसने देखा कि अब तक फसल कटना शुरु नहीं हुआ है। उसने नाराजगी जताते हुए अपने बेटों को ही अगले दिन से फसल काटने को कहा। टिटहरी को बच्चों  ने फिर खबर दी और टिटहरि बेफिक्र रहते हुए से बोली कि कोई  चिंता की बात नहीं है। किसान अब भी  दूसरों पर निर्भर कर रहा है। फसल नही कटेगी। तुम परेशान मत हो।

अंततः हुआ वही जो टिटहरी ने कहा, फसल कटनी शुरु नही हुई । टिटहरी के बच्चे निश्चिंत हुए। अब जब किसान खेत पर आकर देखा कि फसल कटनी अब तक भी शुरु नहीं हुई है, तब वह वह निराश हो गया। उसने सोचा कि अब किसी पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता । वह अपने आप मे ही बुदबुदाया –  कल से मैं ही फसल काटने का काम शुरु करूँगा। हर दिन की तरह आज भी टिटहरी के बच्चों ने लौटने पर टिटहरी को बताया कि किसान कह रहा था कि वह खुद कल से फसल काटेगा। 

अब टिटहरी के चेहरे पर शिकन साफ दिखने लगी। उसने बच्चों से कहा – अब किसान खुद फसल काटने वाला है, इसलिए फसल कल कटेगी। हमारा अब इस खेत से हट जाना ही बेहतर होगा, वरना हमारा घोसला टूट जाएगा और हम बेघर हो जाएंगे। हो सकता है बच्चों को जान का भी खतरा हो। यही सोचकर टिटहरी अपने बच्चों को लेकर खेत छोड़कर चली गई।

अगले दिन किसान खुद आकर खेत में फसल काटना शुरु कर दिया। इस तरह से टिटहरी की व्यावहारिकता की वजह से समय पर उसने अपनी और बच्चों की  जान सुरक्षित कर लिया।

सीख – अन्यों पर भरोसा करने से काम पूरा होने की शक्यता ही रहती है।अनिश्चितता की स्थिति से उबरने के लिए और काम होने की निश्चितता के लिए अपना काम खुद ही करना चाहिए। इसी के कारण जब तक किसान पड़ोसी, नौकरों और बेटों पर निर्भर कर रहा था, तब टिटहरी परेशान नहीं हुई । जैसे ही किसान ने खुद फसल काटने की बात किया, टिटहरी अपने बच्चों को लेकर दूसरे खेत पर चली गई। इससे समय पर वह चौकन्नी होकर अपनी और बच्चों की जान बचा सकी।

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