निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर एक कहानी लिखें और उचित शीर्षक दें
नमक का व्यापारी - गधा पालना - गधे पर नमक की बोरियाँ ले जाना - राह में नदी - गधे का पाँव फिसलना - नमक पानी में घुलना - बोझ हल्का - अब हर रोज गधे की चालाकी - जान बूझकर पानी में गिरना - व्यापारी का निरीक्षण - अगले दिन रूई लादना - पानी में भीगकर रूई भारी - सबक।
--------------------------------------------------------------------
चतुर गधा
एक व्यापारी नमक का धंधा करता था। उसके घर और मंडी के बीच रास्ते में एक छोटी सी नदी पड़ती थी । उसने अपना माल वहन करने के लिए एक गधा पाला। रोज वह गधे पर लादकर नमक की बोरियाँ मंडी ले जाता और वहीं नमक बेचता था। रोज शाम मंडी बंद होने पर बचा नमक फिर बोरे में भरकर, मंडगधे पर लाद कर वापस घर ले आता था। यही उसकी दिनचर्या थी।
एक दिन ी जाते समय रास्ते में गधे का पैर फिसला और वह नदी में गिर पड़ा। किसी तरह व्यापारी ने गधे को पानी में से निकाला और गधा नमक की गीली बोरियों के साथ मंडी पहुँच गया। गधे को आभास हुआ कि नदी में गिरने की वजह से उस पर लदा हुआ वजन घटा है।उसने सोचा हो न हो नदी में गिरने से भार कम हो जाता है। उधर व्यापारी पानी में नमक घुल जाने से अपने नुकसान के लिए दुःखी हो रहा था और गधे के गिरने पर अफसोस कर रहा था।
गधे ने अपनी इस नई अकल को आजमाना चाहा। फिर एक दिन जानबूझ कर पाँव फिसलने के बहाने नदी में गिर पड़ा। इस बार भी उसको वजन घटा महसूस हुआ । अब वह समझने लगा - “नदी में गिरने से वजन घट जाता है।”
फिर क्या था, अब वह अक्सर पाँव फिसलने के बहाने नदी में गिर जाया करता था। बेचारा व्यापारी बहुत समय तक तो इसे वास्तविकता समझता रहा लेकिन गधे के गिरने की हरकतें बढ़ते जाने पर उसे शक हुआ कि गधा जानबूझ कर नदी में गिर रहा है और फिसलना मात्र एक नाटक है। दो एक बार नजर रखने पर जब उसे तसल्ली हो गई तो उसने गधे को सबक सिखाने का निश्चय किया।
इसी सोच से व्यापारी ने एक दिन गधे पर नमक के बदले कपास की बोरियाँ लादीं । गधा आज फिर पाँव फिसल जाने के बहाने नदी में गिरा । नमक तो भीगकर घुल जाता था पर कपास तो पानी सोखकर भारी हो गया। अब गधे को बोझ ढोना भारी पड़ रहा था। जब व्यापारी ने कुछ और दिन ऐसा ही किया तो गधे को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने बार – बार पाँव फिसलने और नदी में गिरने के बहाने करना छोड़ दिया।
सीख – किसी को भी अपनी अकल का सोच समझकर प्रयोग करना चाहिए. गलत जगह अकल लगाने से नुकसान ही होता है।
---
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें