निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर एक कहानी लिखें और उचित शीर्षक दें
एक दीन हीन भिखारी - प्रतिदिन माता लक्ष्मी से प्रार्थना - माता लक्ष्मी का दर्शन व वरदान माँगने को कहना - सोने की मुहरें माँगना - माता की शर्त - मुहरें अभी अपनी झोली में लेनी होंगी, नीचे गिरीं तो मिट्टी बनेंगी - फटी पुरानी झोली फैलाना - लक्ष्मी माता द्वारा झोली में मुहरें डालना - भिखारी का लालच - और,और कहते जाना - मुहरों के बोझ से पुरानी झोली फट जाना - माता लक्ष्मी भी अदृश्य - पश्चाताप - सीख।
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लालची भिखारी
एक बहुत ही गरीब भिखारी अमीर बनना चाहता था। इसके लिए वह हमेशा माता लक्ष्मीदेवी की आराधना किया करता था। उसकी इस अपार भक्ति से लक्ष्मीदेवी प्रसन्न हुई । एक दिन लक्ष्मीदेवी ने उसे दर्शन दिया और वरदान माँगने को कहा।
भिखारी को मुँह माँगा मिल रहा था – उसका मन बल्लियों उछलने लगा। उसने लक्ष्दवी से सोने की मुहरें माँगीं । लक्ष्मीदेवी ने कहा – “मुहरें तुम्हें अभी अपनी झोली में लेनी होंगी, नीचे गिरीं तो मिट्टी हो जाएँगी”। भिखारी को खुशी में कुछ खयाल नहीं रहा। उसने हामी भरकर अपनी सड़ी - गली - पुरानी झोली आगे कर दी। लक्ष्मी देवी मुहरें बरसाने लगीं। भिखारी अपनी अपार खुशी में “और, और” कहता गया और लक्ष्मीदेवी मुहरें बरसाती गईं ।
थोड़ी देर में पुरानी झोली मुहरों के भार से पूरी तरह फटकर तार - तार हो गई । फलस्वरूप सारी मोहरें धरती पर गिरीं और गिरते ही लक्ष्मीदेवी के कथनानुसार मिट्टी बन गईं। इसके साथ ही लक्ष्मीदेवी भी अदृश्य हो गई ।
झोली के फटने पर भिखारी को अपनी भूल का एहसास हुआ, पर अब तो समय हाथ से जा चुका था। उसे अपनी भूल या मूर्खता पर बहुत पश्चाताप हुआ ।
सीख – लालच बुरी बला है और किसी भी जगह अति करने से बचना चाहिए। अति हमेशा नुकसानदायक होती है।
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