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मेरा अगला प्रकाशन श्रीमती मीना शर्मा जी के साथ ओस की बूँदेंं (Oas ki Boonden)

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

निबंध (समय का सदुपयोग)

समय का सदुपयोग 

समय निरंतर चलता  रहता है। कभी किसी के लिए रुकता नहीं हैं। आप उस समय का कैसा प्रयोग करते हो, यह आप पर निर्भर करता है। समय के सदुपयोग से आपके जीवन में उन्नति होगी और दुरुपयोग से अवनति। 

समय बिना कुछ भी संभव नहीं है। आप खेलना चाहें, व्यायाम करें, पढ़ें या मजाक मस्ती करें – सब में समय की आवश्यकता होती है। जो क्षण बीत गया उसे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। तभी तो कहा गया है-

  "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत"

यदि समय का उपयोग करके आपने कुछ सीखा तो यह आपके लिए अच्छा हुआ । यही समय का सदुपयोग है। यदि व्यायाम किया या योग साधना की तो आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत में बढ़ोतरी हुई। इसी तरह जीवन में कई काम हैं जिनसे उन्नति होती है। जिसे समय का सदुपयोग कहते हैं।

समय का उपयोग हर कोई अलग अलग तरह से करता है।

एक व्यक्ति पढ़ रहा होता है तो दूसरा मजाक- मस्ती में समय बिताता है, तो कोई जुआ खेलने में व्यतीत करता है। 

यहाँ पढ़ने वाला कुछ सीख लेता है, मजाक - मस्ती कुछ समय तक हो तो वह मन मस्तिष्क को हल्का करती है ताकि अगले काम में सही तरह से मन लगे। 

यहाँ पहले व्यक्ति के समय का सदुपयोग हुआ । दूसरे के समय का सदुपयोग भी नहीं हुआ दुरुपयोग भी नहीं हुआ । तीसरा जुआ खेलने में समय के साथ पैसों की भी बरबादी करता है। उसका तो समय और पैसा दोनों बरबाद हुए।

ध्यान रहे कि बेहद मजाक – मस्ती से भी समय की बरबादी होती है। बीता समय कभी वापस नहीं आता। यह बहते नदी के जल के समान है जो बह गया तो बह गया फिर नहीं लौटता। जीवन का समय उपयोग नहीं किया तो वह बेकार गया। पल – प्रतिपल, दिन - प्रतिदिन आपकी उम्र बढ़ती है पर आपके पास बचा समय कम होता चला जाता है। 

कबीरजी ने तो कहा है -

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।

पल में प्रलय होयगी, बहुरि करेगा कब ।।

गाँधीजी, नेहरूजी और अन्य महापुरुषों के भी दिन में चौबीस घंटे ही होते थे, किंतु उन्होंने इतने ही समय में बहुत कुछ संभव कर दिखाया। आज इंसान उसका दस प्रतिशत भी नही कार पाता। विज्ञान के आविष्कारों ने इंसान को आलसी बना दिया है।मजबूरी न हो तो शायद ही कोई मेहनत करे। खाना, पीना,सोना वाली जिंदगी आज सबकी पसंदीदा जिंदगी हो गई है। जो कई तरह की बीमारियों का कारण बन रही है। समय का सही उपयोग तो लोग भूल ही चुके हैं।

ईश्वर ने इंसान को सीमित जीवन काल दिया है, जिसका खुद इंसान को भी पता ही नहीं होता। इंसान को जो भी करना है, वह इसी अनिश्चित समय में ही करना है। इसलिए इंसान को चाहिए कि समय का सदुपयोग करे और जितना ज्यादा हो सके, काम पूरा करता जाए।

समय को वक्त और काल भी कहा गया है। यह बहुत ताकतवर होता है। किसी ने कहा है ना - "समय बड़ा बलवान"। समय के आगे किसी की नहीं चलती। बड़े बडे-बडे राजा- महाराजा, धनाढ्य, पहलवान की भी समय से पार पा न सके। कोई भी  के समय सामने टिक नहीं सका। समय की मार का कोई जवाब नहीं होता। 

सर्वशक्तिमान प्रकृति भी समय के साथ चलती है। सौर मंडल के ग्रह भी समयानुसार अपने कक्षों मे परिक्रमा करते हैं, जिससे दिन - रात और ऋतुएं अपने समयानुसार होती रहती हैं।  समय के पाबंद न हो तो बहुत से बनते काम बिगड़ जाते हैं।

    "का वर्षा जब कृषि सुखाने

     समय बीति पुनि का पछताने"

इसीलिए सबको चाहिए कि समय के साथ चलें और समय से होड़ न करें । समय की कद्र करें, समय आपकी कद्र करेगा।

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