निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर कहानी लिखकर एक उचित शीर्षक दीजिए।
एक हरा भरा सुंदर वन.....इंद्र का आगमन...वन में घूमना...एक सूखा पेड़ दिखना...पेड़ पर एक तोता...इंद्र भगवान का प्रश्न... तुम हरे भरे वृक्षों को छोड़कर इस सूखे वृक्ष पर क्यों?...तोते का उत्तर...हरे भरे वृक्ष ने मुझे आसरा दिया, संकट में इसका साथ कैसे छोड़ूँ? ... इंद्र प्रसन्न ... वरदान...वृक्ष को पुनःहरा भरा ... सीख।
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कृतज्ञता
यहाँ यह सूखा पेड़ और उस पर विराजमान यह तोता! जरूर कोई खास बात है। हरे भरे वृक्षों को छोडकर तोता इस सूखे पेड़ पर क्यों बैठा है? उन्होंने तोते से ही पूछ लिया कि तुम इस वन के सारे हरे भरे वृक्षों को छोडकर इस सूखे पेड़ पर क्यों बैठे हुए हो?
तोते ने जवाब दिया, "श्रीमन् ! अपने हरे भरे समय में यह वृक्ष ही मेरा आसरा था। धूप और बारिश में इसने मुझे शरण दी थी। हमेशा इसने मुझे पूरा सहारा दिया है। मेरा घोंसला इसी पर रहा। इसकी हरी भरी डालियों पर मेरे बच्चे खेल-कूदकर बड़े हुए और खुले आसमान में उड़ने के काबिल हुए। अब जब यह सूख गया और मुसीबत में है तो मैं इसका साथ छोडकर कृतघ्नता कैसे कर सकता हूँ? हमें तो उपकार करने वालों का कृतज्ञ होना चाहिए। उनकी मुसीबत के समय भी उनका साथ देना चाहिए। इसी आशय से मैं इस पेड़ पर बैठा हूँ। मैं इसे मुसीबत में अकेला नहीं छोड़ सकता।"
इंद्रदेव को तोते की बात भा गई। उसकी कृतज्ञता पर वे प्रसन्न हुए और उन्होंने वृक्ष को पुनः हरा भरा कर दिया। तोता यह देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ।
सीख : हमे हमेशा उपकार करने वाले का कृतज्ञ होना चाहिए और कभी भी उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए, भले ही वह मुसीबत में हो।
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